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आपका कुत्ता तो नहीं मरा!
ऊपरी तीम - झाम बस दिखावा है,
ये बुरा मानने वाली बात ही नहीं।
क्या हुआ जो हमने नए कपड़े पहन लिए?
जन्मदिन तो आप ही का है!
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धूप में चलते-चलते काले पड़ गए
वहां पहुँचने की आस में प्यास भूल गए
भूखे पेट तो कई रातें बिताई हैं
कुछ और पल रुकने में बुरा क्यों मानते
गिरते पड़ते दरवाज़े तक आ तो गए
लेकिन वहाँ बस एक ताला लटकता पाया
और क्या करते,वापस चल दिए
खोकर न पाने की आदत सी जो हो गयी है
लम्हे आँखों के सामने
नाचने लगे,
नए ख्वाब दिखाने लगे।
लगा कि जैसे ये मेरे पास ही रहेंगे,
मेरे आशियाने में सजेंगे ।
जी चाहता था इन्हें समेट लूं,
अपने नीले आँचल में छुपा लूं।
हाथ बढाया तो लम्हे हवा हो गए,
मेरे आँचल के सिरे में बंधने से पहले
न जाने कहाँ चले गए ।
आँचल अब खाली गांठों से भरा था ,
मन तो दुःख और पीड़ा से हरा था ।
तभी कहीं कोने से एक नन्हा पल बोला,
"जाने दो लम्हों को, मुझे दिल में जगह दो,
तुम्हारा छोटा सा दिल उन्हें समेट नहीं पायेगा।
तुम्हारे आँचल में केवल मैं रह सकता हूँ,
मैं वही हूँ जो नीले रंग को गहरा कर पायेगा!"
कांटा कुछ इस तरह चुभा था
कि लहू रिस कर अरसा बीत गया।
रह गयी रगों में अब लहू की प्यास है ,
जिस्म मरा नहीं पर ज़िन्दगी की आस है।
लहू बह चुका, खारा पानी रुकता नहीं,
सूख कर मर चुके हैं हम, अब घाव भरता नहीं।
सारा लहू तो पी लिया, खारा पानी चूसते हो।
अब तरस खाओ, ताकत तो छोड़ दो,
रेगिस्तान बना दिया हमें, रेत को भी ठूंसते हो!
कब्र खोदने के लिए औज़ार तो छोड़ दो।
इतना लहू नही कि ताकत भरती जाए,
कब्र इतनी बड़ी नहीं की चैन कि नींद आ जाए।