Friday, May 4, 2012

बेवर्ली


मेरे बगल में बैठी बेवर्ली
टुक-टुक टाइप किया करती है।
अपनी गुड़ियों में खुश रहती,
कहानियाँ सुनाया करती है।
मॉनिटर पर तस्वीरें देख
सपने सजाया करती है।
मेरी कविता समझ न पाए,
पर मुझे देख मुस्कुराया करती है।

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