Monday, May 14, 2012

किराये का मकान


हसरत तो बेशक़ आपकी बड़ी थी;
हमने मंज़ूरी नहीं दी,
पर मना भी कब किया
आप और हम इंतज़ार करते रह गए;
आप पूछते तो सही,
घर आपको किराये पे दे देते

Friday, May 4, 2012

बेवर्ली


मेरे बगल में बैठी बेवर्ली
टुक-टुक टाइप किया करती है।
अपनी गुड़ियों में खुश रहती,
कहानियाँ सुनाया करती है।
मॉनिटर पर तस्वीरें देख
सपने सजाया करती है।
मेरी कविता समझ न पाए,
पर मुझे देख मुस्कुराया करती है।